परम वैष्णव भक्तवर परम आदरनीय
पंडित दया नन्द जी लुद्र
की पुण्य स्मृति में
जीवन यात्रा : 24 जून १९२४ दिसम्बर 2009
जीवन परिचय
पंडित दया नन्द जी लुद्र ने पाकिस्तान के मुल्तान शहर में पुष्करणा ब्राह्मण कुल में श्री कन्हैया लाल जी लुद्र (पिता) एवं श्रीमती मंगली बाई (माता) जी के घर दिनांक 24 जून 1924 को जन्म लिया |
भाग्य में माता पिता का प्यार अधिक नहीं था क्योंकि मात्र सवा साल की अल्पायु में ही पिता जी का स्वर्गवास हो गया |
उम्र के केवल ग्यारह वर्ष ही पूरे किये थे की माता जी भी स्वर्ग सिधार गयीं | ऐसे में अपने मामा स्वर्गीय पंडित गोपी नाथ जी जोशी का पावन सानिध्य मिला और उनके पास रहने लगे | मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद अपने दो मित्रों श्री देव दत जी एवं श्री राजेंद्र कुमार जी (रज्जी) के साथ दिल्ली आ गए | संघर्ष करते हुए अंतत मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स में कार्यारत हुए |
देश भक्ति से ओत प्रोत आदरनीय पंडित दया नन्द जी लुद्र सन 1945-46 में आर एस एस के सम्पर्क में आये व प्रचारक के पद पर आसीन हुए | दृढ संकल्प के साथ देश सेवा में इतने मग्न हुए की नौकरी का भी परित्याग कर दिया |
दृढ इच्छा शक्ति, परम धार्मिक पंडित दया नन्द लुद्र जी का विवाह पठानकोट के परम वैष्णव ब्राह्मण कुल भूषण पंडित हरीप्रसाद जी पराशर (शास्त्री) की सुपुत्री सौभाग्यवती शीला देवी के साथ दिनांक 2 जून 1948 को संपन्न हुआ |
अपने नाम के अनुरूप पत्नी शीला देवी अत्यंत सुशील एवं सर्व गुण सम्पन्न सदैव जीवन को सुचारू ढंग से अग्रसर करने में तत्पर रहीं | पुनः मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स में नौकरी प्रारंभ करते हुए आने वाले वर्षो में एक पुत्री व तीन पुत्रों के साथ अपने गृहस्थ जीवन जो सुसज्जित किया |
सबसे बड़ी पुत्री आशा जिसका विवाह सहारनपुर के वैष्णव कुलभूषण श्री लक्ष्मण कुमार व्यास जी के सुपुत्र श्री ललित कुमार व्यास के साथ संपन्न किया | तत्पश्चात अपने बड़े पुत्र सुरेन्द्र मोहन का विवाह गुडगाँव निवासी भक्तप्रवर श्री भीमसेन जी पुरोहित जी की सुपुत्री चंद्र मोहिनी से संपन्न कराया |
जीवन को आनंद से व्यतीत करते हुए धर्म के मार्ग का निरंतर अनुसरण करते हुए विभिन्न धार्मिक संस्थाओं का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने द्वितीय पुत्र नरेन्द्र मोहन का विवाह रेवाड़ी निवासी श्री कन्हैयालाल पराशर की सुपुत्री अनीता का साथ सम्पन्न कराया |
अपने छोटे पुत्र महेंद्र मोहन का विवाह जयपुर निवासी परम विद्वान् श्री रत्न कुमार जी कल्ला (शास्त्री) की सुपुत्री भावना के साथ सम्पन्न किया | पौत्रों पौत्रिओं दोहित्रों व दोहित्रिओं के आगमन से जीवन खुशमय हुआ | अपने बच्चों को सदैव सन्मार्ग पर चलने की निरंतर शिक्षा देते हुए और अतिथि सत्कार में सदैव ह्रदय से तत्पर रहते हुए केंद्रीय पुष्करना ब्राह्मण समाज में अग्रणी रहते हुए, व्यवहार कुशल, धर्म निष्ठ और मन्दिर निर्माण में अग्रसर रहते हुए आदरनीय पंडित दयानंद जी लुद्र अंतत अपने पुत्रों पौत्रों (अभिषेक व सुशांत) का भरपूर प्यार पाते हुए गोलोकवासी हुए | आपका जीवन धन्य है | हम सब आपको बारम्बार सादर नमन करते हैं |
श्री लुद्रान्व्यम सम्भवम गुणनिधिम
शान्तं दयालुम मुदा
गोपीनाथ प्रियं सरलता मुर्तिम
कन्हैयात्म्जम मर्यादानिलयम
स्वधर्म निरतं माधुर्ययुक्तं प्रियं
औदार्यादी गुणानिवितम सुविलम
वन्दे दयानन्दम ||
सुरिंदर मोहन लुद्र
पूज्य भ्राता जी के चरणों मेवष्ट शत नमन।