परम आदरनीय श्री वेद प्रकाश जी पुरोहित
जीवन यात्रा जन्म – 5/12/1937
गोलोक गमन – 19/6/2014
डाक्टर श्री वेद प्रकाश जी पुरोहित का जीवन परिचय
मुल्तान शहर के एक कुलीन और संभ्रांत पुष्करणा परिवार के अत्यंत प्रतिष्ठित व्यक्तित्व रखने वाले स्वर्गीय श्री पंडित विशन दास जी पुरोहित तत्कालीन प्रधान पुष्करणा ब्राह्मण सभा के ज्येष्ठ सुपुत्र पंडित आत्म प्रकाश जी पुरोहित का विवाह पंडित लघुलाल जी गोसाईं व भगवान् श्री कृष्ण की अनन्य उपासिका श्रीमती काक्यांवाली की सुपुत्री बालोबाई के साथ सन १९३५ में मुल्तान शहर पाकिस्तान में बड़े समारोह के साथ सम्पन्न हुआ |
श्री नाथ जी की असीम कृपा से दिनांक 5/12/1937 को एक अत्यंत अद्भुत बालक का जन्म हुआ जिसका नाम वेद प्रकाश रखा गया |
बाल्यावस्था से ही बालक की तेजस्विता माता पिता को दृष्टिगोचर होने लगी | इसकी अनुभूति माँ को हो गयी और उनोहने अपने ज्येष्ठ भ्राता गोसाईं जिन्दुलाल जी रंगा की ओजस्विता और उनके सामाजिक व राजनैतिक अनुभवों को अपने बेटे के अंतर्मन में उनका संचरण करने के लिए उन्हे शिक्षा प्राप्ति हेतु भारत विभाजन के बाद फतेहबाद(हरयाणा) भेज दिया |
वहां अपने मामा जी के सानिध्य में रहकर अनेकानेक सामाजिक संगठनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया जिस से श्री गोसाईं जी के सम्मान को बहुलता मिली और उनोहने उनके अंतर्मन में छिपी हुई राष्ट्र भावनाओं को तथा राष्ट्र सेवा करने की शक्ति को पहचाना और वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में सक्रियता से जाने लगे | वास्तव में इनका संघ में प्रवेश तो बचपन में ही 6 वर्ष की आयु में हो गया था |
तदुपरांत वो संघ और संघ से जुड़े संगठन विश्व हिन्दू परिषद, धर्म यात्रा महा संघ एवं भारतीय जनसंघ में भिन्न भिन्न दायित्वों का निर्वहन करते रहे | सन 1975 में भारतीय जन संघ के वरिष्ठ नेताओं के साथ J P Movement में अग्रगन्य रहे |
एक सेनानी की तरह हर न मानते हुए जुझारू नेता के रूप में जेल में भी जाना स्वीकार किया परन्तु अपने सिधान्तों पर अड़े रहे जिसके कारन इन्हें बहुत ही यश प्राप्त हुआ | सन 1977 में जनता पार्टी में एक सक्रिय नेता के रूप में समाज का मार्ग दर्शन किया |
तत्पश्चात भारतीय जनता पार्टी एक वरिष्ठ, अनुभवी और निर्भीक नेता के रुप में उभर कर आये | माता पिता की आज्ञा से गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करते हुए श्रीमती संतोष रानी के साथ विवाह बंधन में बंधते हुए संस्कारी अम्बिकासुत पुत्र प्राप्त किया और संस्कारी पुत्र का विवाह श्रीमती हर्षा के साथ होने के पश्चात अब जय आदित्य के रूप में वंश बेल फल फूल रही है |
श्री वेद प्रकाश जी की प्रतिभाओं को देखते हुए वीतरागी कर्मयोगी परम पूजनीय पंडित कर्म नारायण जी भिक्षुक ने इन्हें हरिद्वार में हर की पौड़ी के निकट स्थापित वैष्णो देवी धर्मशाला एवं मन्दिर का कार्यभार सौंपा | वहां इन्होने अपने विद्वता अद्भुत भाषण शैली और ओजस्विता का भरपूर परिचय दिया | यहां से इनोहने अपना अध्यात्मिक जीवन भी आरंभ किया |
डाक्टर होते हुए भी यह अपने अध्यात्मिक क्षेत्र में इतने प्रतिष्ठित हो गए की राम जन्म भूमि आन्दोलन के अंतर्गत राम शिला पूजन के कार्यक्रम में तन मन धन न्योछावर कर दिया और आजीवन केश रखने व चमड़े की समस्त वस्तुओं का परित्याग करने का संकल्प लिया और जीवनभर इस संकल्प का निर्वहन किया |
महाकाली के अनन्य उपासक डाक्टर साहब ने 14 वर्षों तक अखंड ज्योत से माँ काली की उपासना की | श्रीमद भागवत के प्रति इनकी अटूट आस्था थी | वो प्राय: अपने जीजा जी श्री माधव आचार्य जी शास्त्री मानस मर्मज्ञ एवं
भागवताचार्य के साथ विशाल भागवत आयोजनों में भी कथा श्रवण हेतु दिल्ली तथा सुदूर प्रान्तों में भी जाते रहे | यह सत्य है की ऐसे महापुरुष धरती पर कभी कभी जन्म लेते हैं और अत्यंत सरल रहकर अपने जीवन यापन करते हैं | अंततः समाज में भरपूर प्रतिष्ठा प्राप्त करते हुए एक दिन अकस्मात डाक्टर वेद प्रकाश पुरोहित दिनांक 19/6/2014 को इस संसार को छोड़ कर भगवान् के श्री धाम में मुस्कुराते हुए चले गए |
(कीर्तिर्यस्य स: जीवति)
प्रस्तुति:- आचार्य माधव शास्त्री, निर्मल आचार्य